Prashant Bhushan got Slammed by Supreme Court
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Prashant Bhushan Got Slammed From Supreme Court On Ramayan (Photo Credit : Bekhauffindia) |
प्रशांत भूषण कौन है और क्या करते है
प्रशांत भूषण का जन्म दिल्ली मे हुआ इनके पिता शांति भूषण है ! भूषण सुप्रीम कोर्ट मे एक जनहित वकील है ! ये ‘इंडिया एगेंस्ट करप्शन (आईएसी)’, ‘सीपीआईएल’ जैसे संस्था से जुड़े हुए है ! सन २०१५ मे आप पार्टी को जन्म देने मे मदद की ! आजकल यह योगेन्द्र यादव के साथ स्वराज अभियान चला रहे ! इनकी पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविधालय से कानून की डिग्री ली थी ! [14]
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Prashant Bhushan Openly Against Supreme Court Not By Facts But By His Personal Demands. |
प्रशांत भूषण का समर्थन और विरोध
- नक्सली और माओवादी को समर्थन, सरकार का विरोध !
- आतंकी अजमल कसाब (२००८ मुंबई हमला) की फांसी का विरोध !
- सरदार सरोवर बाँध का विरोध और सुप्रीम कोर्ट की सावर्जनिक आलोचना !
- यूएस-इंडिया असैन्य परमाणु समझौते का विरोध !
- कश्मीर मे जनमत संग्रह का समर्थन और एफ्स्पा का विरोध !
- मोदी को रिलायंस की कठपुतली और भ्रष्ट का आरोप (लेकिन सबूत नहीं) !
- सन २०१५ मे अरविन्द केजरीवाल पर आरोप ! [14]
- रामायण को अफ़ीम बता रहे थे जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने बचाया था एफ़आईआर से
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Prashant Bhushan Needed A Dose (Photo Credit : NewsLaundry) |
प्रशांत भूषण के कुछ केस और बत्तमीजी
- सन 2020 जजों की निजी जिंदगी पर हमला (अवमानना केस)
दिनांक 14 Aug 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण पर अवमानना केस सही मना है और दो दिन का वक्त दिया है की बिना शर्त माफ़ी मांग ले ! इस केस प्रशांत भूषण ने चीफ़ जस्टिस के ऊपर अपमान जनक ट्वीट किये थे ! इस अवमानना मे कम से कम छह महीने की साधारण क़ैद या दो हजार रु तक का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है ! इस केस मे भी प्रशांत भूषण ने एक अनुरोध किया था जिसमे कहा था की इस केस तो दूसरी पीठ को भेजा जाये लेकिन कोर्ट ने इसको ठुकरा दिया है ! प्रशांत भूषण कोर्ट मे ये बयान दिया की “मुझे समय देना कोर्ट के समय की बर्बादी होगी क्युकी यह मुश्किल है की मै अपने बयान को बदल लू !” केंद्र सरकार ने अटोर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट से भूषण को सजा न् देने की अपील की !
इस केस ‘बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ जो की कोई आधिकारिक ताकत प्राप्त संस्था नहीं है इसको ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ ना समझ लीजिएगा ने प्रशांत भूषण का समर्थन कर दिया !
दूसरी तरफ १५ पूर्व जजों समेत १०३ लोगो ने सुप्रीम कोर्ट के पक्ष मे पत्र जारी किया है ! [15]
नोट : ध्यान दीजियेगा केंद्र सरकार के वकील ने सजा ना देने की अपील की बल्कि ये नहीं कहा की प्रशांत भूषण ने दोषी नहीं है कुछ गलत नहीं किया !
- सन 2009 आपराधिक अवमानना केस
Nov 2009 मे सुप्रीम कोर्ट ने तेजपाल और प्रशांत भूषण को अवमानना नोटिस जारी किया था तब प्रशांत भूषण और तेजपाल पर एक समाचार पत्रिका के साक्षात्कार में शीर्ष अदालत के कुछ मौजूदा एवं पूर्व न्यायाधीशों पर कथित तौर पर गंभीर आरोप लगाए थे। तेजपाल उस समय पत्रिका के संपादक थे ! जिसकी सुनवाई अभी भी चल रही है ! इस केस सुप्रीम कोर्ट ने कहा की वो अभिव्यक्ति की आज़ादी को खत्म नहीं कर रही लेकिन अवमानना की एक पतली रेखा भी है ! [1]
- सन 2010 अवमानना केस
Sep 2010 को प्रशांत भूषण ने तहेल्का को साक्षात्कार देते वक्त कहा की “मेरे विचार मे, पिछले 16 से 17 मुख्य न्यायधीशों मे से आधे भ्रष्ट हो चुके है ! मै यह साबित नहीं कर सकता, हालांकि हमारे पास पंची, आनंद और सभरवाल के खिलाफ सबूत थे जिनके आधार पर हमने उनका महाभियोग माँगा था !” जिसको लेकर प्रशांत भूषण पर अवमानना का केस चल रहा ! [2]
- सन 2019 सीबीआई वेर्सेस सीबीआई केस
Mar 2019 को सुप्रीम कोर्ट मे सीबीआई की नियुक्ति पर केस किया गया था जिसमे प्रशांत भूषण ने केंद्र पर अदालत मे गलत दस्तावेज़ रखने का आरोप लगाया था और साथ मे कहा था कांग्रेस के खडगे से मेरी बात हुई है जबकि उसमे (नियुक्ति मे) कांग्रेस के नेता खरगे भी शामिल थे ! [3] बाद मे केंद्र सरकार ने प्रशांत भूषण पर अवमानना का केस दायर कर दिया जिसमे कहा गया भूषण ने अदालत को गुमराह करने का आरोप लगाया ! केंद्र ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा को सील बंद पत्र दिया जिसमे आरोप था प्रशांत ने जानबूझकर उनकी ईमानदारी के बारे मे संदेह बढ़ाने के लिए, राव की नियुक्ति को चुनौती दी थी ! फिर प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट के सामने स्वीकार करने के लिए सहमत थे की उन्होंने यह ट्वीट करके वास्तविक गलती की केंद्र ने अंतरिम सीबीआई निर्देशक की नियुक्ति पर सुप्रीमकोर्ट मे मनगढ़ंत दस्तावेज़ रखे थे ! केंद्र के एजी ने सुप्रीम कोर्ट मे भूषण के खिलाफ अपने अवमानना याचिका वापस लेने के लिए तैयार थे ! [4] लेकिन उसी केस मे प्रशांत भूषण का वकील दुष्यंत दावे ने कोर्ट से कहा प्रशांत भूषण की तरफ से मै माफ़ी मांगता हूँ लेकिन कोर्ट ने कहा प्रशांत भूषण यही मौजूद है तो उन्हें करने दो ! प्रशांत भूषण खड़े हुए और कहा मै माफ़ी नहीं मागूंगा और मैंने जो बातें लिखी वो प्रामाणिक है और मुझे सही लगती है और मै माफ़ी नहीं मांगने वाला ! [5]
- सन 2017 मेडिकल काउन्सिल केस
दिनांक Dec 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने सीजेएआर के वकील प्रशांत भूषण का केस को ख़ारिज कर 25 लाख रु का जुर्माना लगाया था ! प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट मे फर्जी मेडिकल काउंसिल पर रिश्वत का मामला डाला था जिसकी सुनवाई तीन जजो की बेंच कर रही थी ! जिसमे आरोप लगाया था की उत्तरप्रदेश मेडिकल कॉलेज के पंजीकरण से संबंधित उच्चतम न्यायलय के न्यायधीशो को रिश्वत देने की कोशिश की गई थी ! कामिनी जायसवाल और CJAR की याचिका समान थीं। दोनों याचिकाओं में मांग की गई थी कि CJI दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति खानविल्कर को इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि दोनों उस पीठ में थे जिसने मेडिकल कॉलेज मामले की सुनवाई की थी। अदालत ने भूषण की याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं को यह कहते हुए फटकार लगाई थी कि यह न्यायपालिका के लिए अपमान जनक है। [6] इसी मामले मे प्रशांत भूषण ने न्यायाधीश से कहा की “आप भगवान है और देश के स्वामी है ! आप कोई भी आदेश को पारित कर सकते है !” जिसपर सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस ने कहा की “श्री भूषण, मुझे वास्तव में खेद है लेकिन अब आप अवमानना के लिए उत्तरदायी हैं। लेकिन आप अवमानना के भी योग्य नहीं हैं।“ [7]
- सन 2013 कोयला घोटाला केस
दिनांक 20 Nov 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाला मामले मे सुनवाई पर प्रशांत भूषण की खिचाई की और माफ़ी स्वीकार कर ली ! इस केस की सुनवाई तीन जजो की पीठ कर रही थी ! कोर्ट ने एक समाचार पत्रिका मे प्रकाशित भूषण के बयानों पर संज्ञान लिया जिसमे प्रशांत भूषण से कोर्ट से फिर माफ़ी मांगी जिसके बाद कोर्ट ने मामले को आगे ना बढ़ाते हुए याचिका को ख़ारिज कर दिया ! कोर्ट मे न्यायाधीश ने कहा की “न्यायाधीश निडर होकर और निष्पक्ष तरीके से मामलों की सुनवाई और निर्णय लेते हैं और उनके आचरण पर सवाल नहीं उठाए जाने चाहिए। जब न्याय की मांग की जाती है तो न्यायाधीश कभी भी आदेश पारित करने में पीछे नहीं रहते। अगर हम बिना डरे, बिना पक्षपात और बिना पक्षपात के कार्य कर सकते हैं, तो कौन करेगा? हर किसी को खुश रखना हमारा काम नहीं है।“ [8]
- सन 2016 जियो ४जी केस
दिनांक 15 Jan 2016 को प्रशांत भूषण की संस्था ‘सिपिआइएल’ द्वारा सुप्रीम कोर्ट मे केस दाखिल किया गया जिसमे कहा की “रिलायंस के जियो को ४जी स्पेक्ट्रम के आवंटन को चुनौती दी गई और कहा गया की यह इंटरनेट उपयोग के लिए सस्ती डर पर दिया गया था और बाद मे इसे वाइस टेलीकॉम मे बदल दिया गया था !” तीन जजो की बेंच ने सवाल किया की “क्या पीआईएल की उनकी लौंड्री सूची को ‘एक सवारी के लिए प्रणाली’ लेने की अनुमति दी जा सकती है ! क्या इस मामले की जाँच समिति द्वारा की गई है ? हमें सीपीआईएल द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई क्यों करनी चाहिए। आप एक पेशेवर मुकदमेबाज हैं। क्या आप पीआईएल के लिए एक 'केंद्र' बन सकते हैं। क्या कोई आपके कार्यालय में चल सकता है और आपको बता सकता है कि 'मैं एक जनहित याचिका दायर करना चाहता हूं !” प्रशांत भूषण ने जवाब दिया तो क्या आप सुझाव दे रहे है की हमें एक रिसर्च विंग चाहिए ? कोर्ट ने सवाल मे पूछा क्या दायर की जनहित याचिका की सामग्री की जांच हुई है तो अदालत अपना समय बर्बाद नहीं करेंगी ! प्रशांत भूषण ने कह दिया संस्था के पांच लोग पड़ते है ! [9] प्रशांत भूषण के झूठ की वजह से इसी ‘सीपीआईएल’ के एक सदस्य ‘फली एस नरीमन’ ने संस्था से इस्तीफ़ा देते हुए कहा की हाँ वो सदस्य है लेकिन पीआईएल की जाँच मे नहीं है शामिल ! [10] कोर्ट ने ये भी कहा था की तुम एक उद्देश्य से यहाँ आते हो जिनका मूल उद्देश्य न्याय पाना नहीं है बस किसी के खिलाफ दिखता है !
- सन 2017 सहारा-बिरला केस
दिनांक 11 Jan 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के सहारा-बिरला केस को झटका देते हुए मामला बाहर फेक दिया था ! एस केस मे प्रशांत भूषण ने एक डायरी की मदद से मोदी पर आरोप लगाया था की सहारा और बिरला से मोदी ने संदिग्ध नगद पैसे लिए थे ! जिसमे न्यायाधीश ने कहा की “क्या आप सहारा के दस्तावेजों पर भरोसा कर रहे है? उनके पास कभी वास्तविक दस्तावेज़ नहीं होते है ! इसी लिए मैंने उनके मामले की सुनवाई करने से इंकार कर दिया !” प्रशांत भूषण ने कहा की “बिरला के परिसर मे छापे से मिली कंप्यूटर प्रविष्टि का हवाला दिया जो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी को किये गए भुगतान से संबंधित थे !” न्यायाधीश ने जवाब देते हुए कहा की “कोई भी एक मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के खिलाफ कंप्यूटर एंट्री कर सकता है ! क्या हम उस सब के आधार पर जाँच के आदेश दे सकते है ? बेहतर सामग्री लाओ !” उसके बाद कोर्ट ने पीआईएल को ख़ारिज कर दिया ! [11] इस केस मे प्रशांत भूषण ने एक जज को इस केस से हटने के लिए भी बोल दिया था ! जिसके बाद कोर्ट ने बहुत कुछ कहा था [12]
- सन 2017 चिट फंड घोटाला केस
दिनांक 04 Mar 2017 को सुप्रीम कोर्ट मे प्रशांत भूषण ने जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के द्रष्टिकोण पर ही सवाल उठाया था जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को फटकार लगाते हुए कहा था की “क्या वह शीर्ष अदालत के ऊपर 'सुपर एजेंसी' चाहते हैं या नहीं। वह एक निजी व्यक्ति हैं, जिनके पास सवाल करने का अधिकार नहीं है। जब भी कुछ पर्याप्त होगा, हम निर्देश पारित करेंगे।“ सुप्रीम कोर्ट ने इस पीआईएल को ख़ारिज कर दिया ! [13]
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Representation Image : Kumar Vishwas Statement On PRashant Bhushan (Photo Credit : Aajtak) |
कुमार विश्वास का प्रशांत पर बयान
दिनांक 20 Aug 2020 को कुमार विश्वास ने ट्विट्टर के जरिये कहा की “कश्मीर सहित अनेक मुद्दों पर मेरे उनसे गंभीर मतभेद रहे हैं ! मैंने कई बार उनके सामने ही उनके पक्ष के विपरीत मत रखा और उन्होंने असहमत होते हुए भी हर बार सुना ! साथ काम करने से लेकर आज तक जितना मैं #PrashantBhushan को जानता हूँ,वो माफ़ी नहीं माँगेगे! उन्हें पता है “नंद,मगध नहीं है!” [16]
Prashant Bhushan Tweet Against Hindu Culture |
प्रशांत भूषण की दिक्कत
प्रशांत भूषण लगातार बिना किसी सबूत के सुप्रीम कोर्ट पर (उन केसों पर जिनमे कोई गलत ना हुआ हो लेकिन उनके हिसाब से निर्णय ना आया) सवाल उठाने लगते है ! अगर प्रशांत भूषण जोकि सुप्रीम कोर्ट मे ही केस डालते है उनको भरोसा नहीं सुप्रीम कोर्ट पर तो वकालत छोड़ क्यों नहीं देते और कोई एनजीओ खोलकर कमाई कर रहे थे वैसे करते रहे ! सुप्रीम कोर्ट ने ही इन्हे ये औधा दिया है लेकिन इन लोगो मे इन जैसे वकीलों के कुछ राजनीतिक महत्वाकांक्षा है ! यही कोर्ट इनके लिए रात मे कोर्ट खोलता है तो कोर्ट बहुत अच्छी चल रही लेकिन वहीँ कोर्ट इनके लिए खराब हो जाता जब इनके हिसाब से निर्णय नहीं आते ! अब को याद होगा आतंकी याकूब मेनन के लिए प्रशांत भूषण के लिए रात मे कोर्ट खोली गई थी तब क्यों नहीं बोला कोर्ट गलत है ! सुप्रीम कोर्ट हाली मे प्रशांत भूषण के रामायण को अफ़ीम बताने के चक्कर मे एफआईआर के सुप्रीम कोर्ट को रात मे खुल वाई गई थी तब क्यों नहीं बोले सुप्रीम कोर्ट गलत थी ! प्रशांत भूषण का इतिहास रहा ऐसा गलत कामों मे ! जैसे आम इंसान नेताओं को घूसखोर बोल देता है लेकिन कोर्ट तो सबूत पर चलती है ! आम आदमी ऐसे विचार रख सकता है लेकिन एक वकील, जज वकालत करते हुए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल ‘अदालती प्रणाली’ पर हमला होता है ! अगर अदालती प्रणाली पर विश्वास नहीं तो तो सारे केस को लेकर कोर्ट मे ही जाते है ! प्रशांत भूषण के ऊपर दिए ज्यादातर केस मे जजो के खिलाफ ही बोले है !
Prashant Bhushan Get Slapped In His Chamber Due To Wrong Statement On Kashmir
संदर्भ
[1] केस सन २००९ प्रशांत भूषण और तेजपाल पर अवमानना का केस
[2] केस सन २०१० तेहेल्का मे साक्षात्कार देते हुए जजो को करप्ट बताया था
[3] प्रशांत भूषण का फर्जी ट्वीट केंद्र सरकार के खिलाफ
[4] प्रशांत भूषण ने रखे थे झूठे दस्तावेज कोर्ट मे
[5] प्रशांत का वकील माफ़ी मांग रहा लेकिन प्रशांत माफ़ी के खिलाफ खड़े हो गए
[6] सीजेएआर प्रशांत भूषण पर २५ लाख का जुर्माना और फटकार
[7] प्रशांत भूषण का कोर्ट मे बात करने का तरीका
[8] कोयला घोटाले मे जजो की अवमानना पर माफ़ी
[9] प्रशांत भूषण की संस्था को फटकार जियो ४जी पर
[10] प्रशांत भुश्नके झूठ पर खुद के सदस्य ने दिया इस्तीफा
[11] प्रशांत भूषण और कपिल सिब्बल ने सहारा-बिरला केस मे मोदी को बदनाम
[12] प्रशांत की जज को हटाने की कोशिश
[13] प्रशांत भूषण को चिट्फंड घोटाले मे फटकार
[14] प्रशांत भूषण के बारे मे और उनके बयान
[15] प्रशांत भूषण का कोर्ट पर हमला