Lets Expose The Wire Reporter ‘Arfa Khanum’
‘दा वायर’ की पत्रकार ‘अरफा खानुम’ का दोहरा प्रचार प्रसार
लालू राज : दिनांक 01 Nov 2020 को ‘दा वायर’ की एक कट्टरपंथी पत्रकार ‘अरफा खानुम’ ने एक आर्टिकल और वीडियो बने जिसका शीर्षक था, “क्यूँ लालू के राज को जंगल राज कहना गलत है” ! जिसमे इन्होंने एक पार्टी के प्रवक्ता की तरह लालू के राज के बारे में बताते हुए साथ अपने कट्टरवादी सोच जो ऊँची और नीची जात में बाँटते हुए बताती है ! [1]
योगी राज : दिनांक 02 Oct 2020 को इसी कट्टरपंथी पत्रकार ‘अरफा’ ने एक आर्टिकल और वीडियो बनाया जिसका शीर्षक था, “हाथरस बलात्कार: योगी के जंगलराज में दलितों पर कहर” ! जिसमे फिर ऊँची और नीची का कार्ड खेलते हुए योगी सरकार को गुंडा राज खुद घोषित कर रही थी जबकि हाथरस मामले सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच चल रही और उसको यह लोग खुद गैंगरेप घोषित कर रहे ! [2]
अरफा खानुम असल में एक प्रचार प्रसार चल रही है क्युकी एक तरफ बिहार के लालू के १५ साल के जंगल राज (जिसमे अपहरण, फिरौती, बैंक लुट, गरीबो की लुट, हत्या, रंगदारी टैक्स) को छुपाते हुए ऊँची और नीची जात में बाँट कर और उसका बचाव करती दिख रही वही दूसरी तरफ, हाथरस में हुए कांड जिसकी सुनवाई कोर्ट में और जांच भी कोर्ट की निगरानी में चल रही है, उसको अपने दम पर योगी सरकार को गुंडाराज घोषित करने में लगी है ! असल में मुद्दा यहाँ तक सीमित नहीं है ! इसको समझने के लिए हाली ही में योगी सरकार और मोदी सरकार के उठाये कदमों पर नजर डालनी चाहिए ! यूपी में कई बार दंगे सुलगाने की मुसलमानों की कोशिश और सरकारी संपत्तियो का नुकसान भी उन्ही से वसूल किया जाना जिन्होंने उसे बर्बाद किया साथ में उनके पोस्टर जनता के सामने लगाना, बदमाशो पर लगातार करवाई जैसे उसके गैर-क़ानूनी कब्ज़े को गिराना, सीज करना आदि कामों से बदमाशो और उनके समर्थकों में हडकंप है ! वही दूसरी तरफ विदेशों से आने वाले एनजीओ के फंड पर केंद्र की मोदी सरकार का हमले (मतलब शक्त कानून) की वजह से कई एनजीओ देश छोड़कर निकल गए जो अरफा खानुम, राणा अय्यूब जैसो को फंड देती थी ! उदाहरण के तौर पर 'राणा आयुब' का एमनेस्टी इंटरनेशनल से बहुत अच्छा मतलब बहुत अच्छा लिंक था जो देश के खिलाफ गतिविधियों में शामिल था !
@khanumarfa : हम अपनी (मुसलमान) सोच नहीं बदल रहे ! हम अपनी रणनीति बदल रहे है ! तब तक हम प्रोटेस्ट (माने दिल्ली वाले दंगे क्या ?) करे ! pic.twitter.com/4uoCBP5nUF
— Arpit (@GuptaKanpurWale) October 29, 2020
अरफा खानुम के बारे में
यूपी के बुलंदशहर में ‘अरफा खानुम’ का जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ जिसकी उम्र 39 साल है ! अरफा अब दिल्ली में रह रही है जहाँ उन्होंने न्यूज़ एंकरिंग और पत्रकारिता को अपना पेशा बनाया ! अरफा इस समय ऑनलाइन पोर्टल में एडिटर और पत्रकार के रूप में काम कर रही है जिसने पहले एनडीटीवी टीवी, सहारा समय, पयेनियर इंडिया जैसे चैनलों में भी काम किया था ! इनकी पीएचडी की पढ़ाई ‘जामिया मिलिया इस्लामिया युनिवसिटी’ से हुई है जहाँ छह महीने पहले दंगो में शामिल सफोरा जर्गर पकड़ी रही थी ! देश के दुश्मन देश तुर्की का समर्थन करने वाले बॉलीवुड के अभिनेता आमिर खान द्वारा संचालित ‘सत्यमेव जयते’ की भी प्रमुख सदस्य थी ! [3]
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Posted by Bhak Budbak - भक बुड़बक on Thursday, 29 October 2020
लालू यादव की जंगलराज की सच्चाई
आरजेडी के ‘लालू प्रसाद यादव’ सन 1990 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने जिसके बाद सन 1997 तक लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने रहे थे, बाद में उनकी पत्नी राबड़ी देवी यादव ने मुख्यमंत्री पद को संभाला जो सन 2005 तक चलती रही ! इस प्रकार लालू के पन्द्रह साल बिहार पर राज किया ! लालू के 15 साल के कार्यकाल में बिहार राज्य की आर्थिक और सामाजिक श्रेणी में अन्य राज्यों के मुकाबले अपने न्यूनतम स्तर पर चली गई थी जिसमे बिहार की कानून-व्यवस्था सबसे कमजोर थी और अपहरण भी बढ़ रहे थे साथ में वहाँ एक निजी लूट सेना भी तैयार हो रही थी !
इस शख्स ने बताई जंगलराज की सच्चाई, 150 रुपए के लिए हो जाता था मर्डर
Posted by Bhak Budbak - भक बुड़बक on Thursday, 29 October 2020
जंगल राज में राजनेताओं, सरकारी अधिकारीयों, व्यापारियों और अन्य संस्थाओं के आपराधिक साठगांठ खुले तौर पर रहती थी ! लालू यादव के भाई साधू यादव और सुभाष यादव के द्वारा कुख्यात आपराधिक बदमाशो के साथ आयोजन किये जाते थे जिसमे बदमाश शहाबुद्दीन, सूरजभान सिंह और अन्य लोगो ने भी पार्टी के जरिये राजनीति में प्रवेश किया था ! यादवो के नाम से डर का ऐसा माहौल था जिसका इस्तेमाल दूर रिश्तेदार से लेकर परिवार तक धमकाने के लिए करते थे ! सन 1997 में लालू राज में करोड़ो का चारा घोटाला हुआ जिसकी वजह से लालू को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा जो आज जेल में है ! इनके राज में जातियों के बीच निरंतर संघर्ष बढ़ता गया था !
- अपहरण
लालू और रबरी देवी के शासन काल में हर दिन राज्य में कोई ना कोई अपहरण हो रहे थे जिसकी वजह से राज्य को 30 साल पीछे धकेल दिया था ! इनके शासन में व्यापारियों, डॉक्टरों और इंजीनियरों जिनके पास पैसा उनके अपहरण हुआ करते थे और भारी भरकम फिरौती मांगी जाति थी ! ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के सर्वे में बताया गया था की मात्र छह सालों (1992-2004) में ही 32085 से ज्यादा अपहरण हुए थे ! - हत्या
लालू और राबड़ी के शासन काल में शहाबुद्दीन जैसे बदमाश राजनीति के शिखर पर पहुँच गए थे और अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर बच्चों और युवाओं को अपराध के चंगुल में धकेल रहे थे ! लालू का समर्थन की वजह से पुलिस प्रशासन भी उसके खिलाफ मामला दर्ज करने से पहले डरती थी ! लालू का दाहिना हाथ पटना के बदमाश ‘रीतलाल यादव’ ने पटना में इतना कहर बरपाया था की लोगो को रात में घर से निकलने में भी डर लगता था और उनको डर था कहीं हत्या या अपहरण ना हो जाते ! बिहार पुलिस के रिकार्ड में सन 1990 से 2005 के बीच करीब 38189 हत्याएँ हुई थी ! - रंगदारी टैक्स
लालू यादव के राज में जब बिहार में कोई भी व्यापारी नया व्यवसाय शुरू करना चाहता था या संपत्ति या वहाँ खरीदता था तो उसे ‘रंगदारी टैक्स’ देना अनिवार्य था जो स्थानीय गुंडे की मदद से इकट्ठा किया जाता था जो लोग टैक्स नहीं देते उनको मार दिया जाता था ! बलात्कार, चोरी, बैंक डकैती, दंगे आदि जैसे अपराध अपराधियों के दैनिक काम के हिस्से थे ! इसी लिए लालू राज को जंगल राज कहा जाता था साथ में इसी लिए लालू के बेटे तेजस्वी ने लालू की फोटो का इस्तेमाल नहीं किया !
संदर्भ
[1] अरफा खानुम का लालू के जंगलराज को डिफेंड
[2] अरफा का योगी का जंगलराज बताना
[3] अरफा की प्रमुख कहानी