UCC will come, Dr Ambedkar & SC was previously supported.
मोदी सरकार ने बताया ‘यूनिफार्म सिविल कोड’ आयेगा
दिनांक 18 Sep 2020 को लोकसभा में एक लोकसभा संसद ‘दुष्यंत सिंह’ ने जानकारी के लिए लिखित में सरकार से एक प्रश्न ‘क्या सरकार की इस वर्ष समान नागरिक संहिता पर एक विधेयक लाने की योजना है ?’ पूछ लिया ! सरकार की तरफ से कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लिखित में जवाब देते हुए बताया की ‘सरकार एक समान नागरिक सहित लाने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन इसके लिए आवश्यक परामर्श की आवश्यकता है ! भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है की राज्य पुरे क्षेत्र में समान नागरिक संहिता के लिए नागरिकों को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा ! सरकार इस संवैधानिक जनादेश का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध है !” [1]
इस तरह के कोड की स्थापना लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी (मोदी सरकार) उम्मीद लगाये बैठी है जो उनके सन 2019 के आम चुनावों के घोषणापत्र में भी शामिल था असल में ये आज के समय की मांग नहीं ये सन 1998 में भी बीजेपी के मेनिफेस्टो में शामिल किया गया था ! भारत में विभिन्न प्रकार के नियम कानून है जो हर धर्म के लिए अपने जिसके चलते देश को लंबे समय के लिए नुकसान होता आ रहा था ! [3]
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True Secularism (Photo Credit : AfterNoonVoice) |
क्यूँ जरुरत है आम नागरिक सहित
आज के समय में किसी भी व्यक्ति को न्याय दिलाने में दिक्कत आती है क्योंकि सबसे पहले उसके धर्म विशेष के नियमों को देखना पड़ता है, इस प्रकार से हर धर्म विशेष व्यक्ति के लिए भारत में न्याय अलग अलग है और न्यायपालिका के लिए भी न्याय देने में दिक्कत होती है। यही वजह है की भारत देश में यूनिफार्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) की इस समय बहुत अधिक आवश्यकता है। जब हर इंसान (हिंदू, सिख, बुद्ध, मुस्लिम और अन्य) एक नजर से देखे जायेंगे वही तो असली और वास्तव में धर्मनिरपेक्षता है !
सुप्रीम कोर्ट और डॉक्टर अंबेडकर ने किया था समर्थन
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दो केस ‘मोहम्मद अहमद खान vs शाह बानो’ और ‘सरला मुदगल vs अन्य’ में उस समय की मनमोहन सरकार से ‘समान नागरिक संहिता’ लागू करने के लिए कहने के बावजूद, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की बात पर आँख मूंद ली और उसे ठन्डे बसते में डाल दिया था ! मनमोहन सरकार की एक मुख्य वजह वोट बैंक भी हो सकता है जिसके लागू होने के बाद कुछ समुदाय विशेष उनकी सरकार के खिलाफ हो जायेंगे लेकिन मोदी सरकार ने राजनीतिक इच्छाशक्ति है जो इसे देश में लागू करने के कदम बढ़ा रही है !
Dec 1946 में संविधान सभा में जब स्वतंत्रता के पहले संविधान तैयार करने के लिए बुलाया गया था तब कुछ महापुरुषों जिसमे डॉक्टर भीमराव अंबेडकर भी शामिल, विभिन्न व्यक्तिगत क़ानूनों को बहुत विभाजनकारी बताया था और साथ में एक समान नागरिक संहिता के पक्ष में थे हालांकि डॉक्टर साहब पहले ‘हिंदू ला’ पर भी विरोध में खड़े थे ! [2]
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संदर्भ
[1] सरकार ने लोकसभा में लिखित जवाब
[2] डॉक्टर अंबेडकर और अन्य का समर्थन