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Sep 30, 2020

एमनेस्टी के बंद होने से कुछ खास पत्रकार और अभिनेत्री क्यूँ परेशान, हर काम में सिर्फ चुनिंदा लोगो ही क्यूँ ?

Why Some 'One Sided Reporters' Under Stress Over The 'Closure of Amnesty'



Amnesty (A Fake Human Rights NGO) Stopped Working In India, Good For Country.

एमनेस्टी के बारे में

एमनेस्टी इंडिया अपने वेबसाइट से लेकर प्रवक्ताओ के माध्यम से बताती है की “यह संस्था मानवाधिकारों की रक्षा और बचाव के लिए कई मुद्दे पर अभियान चलती है ! यह एक ऐसी दुनिया की कल्पना करते है जिसमे हर व्यक्ति मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा और मानवाधिकारों का आनंद लेता रहे ! जब उन मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है तो यह शोध और तथ्यों की जांच कर, मानवाधिकारों के उल्लंघन पर प्रकाश डालकर और दूसरों पर दबाव डालने के लिए प्रेरित करते है !”


यह सब तो हुई मुहँ और लिखित भाषा, अब आते है मुद्दे पर, मानवाधिकार सिर्फ कुछ चुनिंदा लोगो, धर्म, देशों के होते है या पैसे के हिसाब से बदलते है ! जैसे यह संगठन कह रहा की सभी मानव जाती के कल्याण की बात कर रहे लेकिन इन संस्था के पिछले कुछ कारनामे के बारे में बता चुका हूँ जिसमे ‘बिना पंजीकरण के विदेशी दान लेना’, ‘कागज़ नहीं दिखाना’, ‘आयें हुए पैसे के खर्च ना दिखाना’, ‘विदेशी सरकार से शाठगाठ’ जैसे कारनामे शामिल है ! लेकिन सवाल यह है की ‘एमनेस्टी इंडियावही सब मुद्दे क्यूँ उठा रहा जो कुछ पत्रकारों को मुसलमानों के पक्ष लेते हुए लिखने का बड़ा शौक है ! यहाँ बात क्या सच क्या झूठ की है यहाँ बात है एक तरफ़ा रिपोर्टिंग की वो भी चुनिन्दा लोगो के ऊपर जिसमे हिंदू शब्द का इस्तेमाल करते हुए टारगेट किया गया है जबकि ऐसे बहुत से मुस्लिम भी जो गलत शब्दों का इस्तेमाल करते है जैसे हिंदू देवी देवता, महिलाओ के प्रति लेकिन यहाँ खिचड़ी कुछ और है ! नीचे कुछ आर्टिकल और उसके शीर्षक !


1– 21 Mar 2018 : महिलाओं के ऑनलाइन दुरुपयोग के रूप में पनपती चहचहाना महिलाओं के अधिकारों का संमान करने में विफल रहता

इस रिपोर्ट में एमनेस्टी की ‘अस्मिता बासु’ ने शिकार के रूप में सिर्फ कट्टरवादी मुस्लिम पत्रकार राणा अय्यूब के बारे में बताया की कैसे राणा अय्यूब को सोशल मीडिया में गलत भाषा (गाली) का इस्तेमाल करते है !  [1]


2- 13 Mar 2019 : जनमत- निषेध, अनुमति और (परे) खुशी

इस रिपोर्ट में एमनेस्टी ने शिकार के रूप में पत्रकार बरखा दत्त, कट्टरवादी मुस्लिम पत्रकार राणा अय्यूब को सोशल मीडिया में गलत भाषा का इस्तेमाल करने वालो को प्रधानमंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री योगी से जोड़कर बताने की कोशिश की वो गाली देने वाले प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री योगी को फालो करते है ! [2] 


3- 13 May 2018 : यह भारत में महिलाओं के खिलाफ ऑनलाइन हिंसा को संबोधित करने का समय

इस आर्टिकल में भी एमनेस्टी ने शिकार के रूप में कट्टरवादी पत्रकार राणा अय्यूब, वामपंथी कविता कृष्णन, इतिहासकार ऑड्रे त्रुस्च्के में प्रस्तुत कर उसकी सोच को दर्शाया है जिसमे बताया कुछ चुनिंदा लोगो की दम पर महिलाओ पर शोषण बताया है ! [3] 


4- 13 Aug 2018 : महिलाओं के लिए ऑनलाइन रिक्त स्थान सुरक्षित बनाएँ 

एमनेस्ट इंडिया ने एक उत्सव को ‘ग़ालिब इंस्टीट्यूट, न्यू दिल्ली’ में मनाया था जिसमे महिलाओ के ऊपर था लेकिन लेकिन जिसमे पाकिस्तानी उद्रू शायर किश्वर नाहीद की कविता प्रस्तुत की थी ! इस क्रायक्रम में एक पैनल चर्चा में फिर से कुछ चुनिंदा वक्ताओ को शामिल किया गया जिसमे कट्टरवादी पत्रकार ‘राणा अय्यूब’, वामपंथी ‘कविता कृष्णन’, पूर्व एनडीटीवी पत्रकार ‘बरखा दत्त’, जेएनयू पूर्व कश्मीरी छात्र ‘शेहला रशीद’, पाकिस्तानी समथक अभिनेत्री ‘स्वरा भास्कर’, मुस्लिम समर्थक पत्रकार ‘सागरिका घोष’, इतिहासकार ‘ऑड्रे त्रुस्च्के’, छात्र कार्यकर्ता ‘गुर्मेहर कौर’, कोमेडियन ‘पूजा विजय’, एनडीटीवी पत्रकार ‘निधि राजदान’ और वकील- दलित कार्यकर्ता ‘किरुबा मनुस्वमी’ नाम को जानना अति-आवश्यक है ! [4]


5- 12 Feb 2018 : हमें भारत में महिलाओं के खिलाफ ऑनलाइन हिंसा के बारे में बात करने की जरूरत क्यों

इस लेख में एमनेस्टी इंडिया ने महिलाओ को लेकर उत्पीडन में फिर चुनिंदा लोगो को शामिल किया जिसमे राणा अय्यूब, शेहला रशीद, स्वरा भास्कर, बरखा दत्त को शामिल किया जबकि उसकी लेख में खुद बता रहे, ‘एनसीबी’ ने अनुसार भारत में 12000 केस आयें थे लेकिन इनको बुलाने की जगह फिर सिर्फ चुनिंदा लोग ! [5] 


6 – 27 May 2020 : खुला पत्र- कोविड-19 के खतरे का सामना कर रहे मानवाधिकार रक्षकों को रिहा करें

एमनेस्टी इंडिया ने इस आर्टिकल में जो पत्र लिखा था जिसमे दिल्ली दंगों में शामिल जेएनयू, जेएमआई के सफोरा जर्गर, मीरान हैदर, सिफ़ा-उर-रहमान और शरजील इमाम को ‘मानवाधिकार के रक्षक’, ‘चार महीने की गर्ववती’, ‘पक्षपाती कानून’ बताकर एक अभियान चलाया जा रहा था ! खुद को मानवाधिकार संगठन कहने वाली संस्था, बिना रिपोर्ट के आर्टिकल में लिखती की खबरों के अनुसार ! भीमा कोरेगांव दंगों, और प्रधानमंत्री को मारने की योजना बनाने वाले ‘आनंद तेल्तुम्बडे और गौतम नवलखा’ को भी ‘मानवाधिकार कार्यकर्ता’ बनाकर उनके समर्थन में अभियान चला कर उनकी रिहाई की मांग करी जा रही थी ! इसमे ज्यादातर विदेशी संस्थाओं के हस्ताक्षर करवाए गए थे इनकी बात और कभी ![6]


7- 22 Apr 2020 : भारत सरकार को असहमति की आवाज़ों के खिलाफ कठोर क़ानूनों का उपयोग बंद करना चाहिए

इस आर्टिकल में ये भारत सरकार को टारगेट करते हुए बताने की कोशिश कर रहे थे की दंगे में शामिल सफोरा, मीरान जैसे पर करवाई को बंद करने की आवाज़ बुलंद कर रहे थे जिसमे अन्य दो आनंद और गौतम नवलाख भी शामिल है ! [7]


8- 11 Jul 2020 : "हमें मनुष्य के रूप में व्यवहार करें": शरणार्थियों और शरण चाहने वालों भारत के COVID-19 प्रतिक्रिया में लापता

इस आर्टिकल में एमनेस्टी खुद बता रही इनका काम रोहिंग्या, मुस्लिम प्रवासियों को दूसरे देशों में बसना है जिसके लिए ये प्रोपगंडा भी चलाते है जो देश की सरकारें रोहिंग्या या मुस्लिम प्रवासियों को शरण नहीं देते ये वहाँ प्रोपगंडा चलाते है ! इस आर्टिकल में कई रिफ्यूजी के बयान छापे है साथ में बताया की दिल्ली और हरियाणा में बस्तियों में रोहिंग्या को बसाया गया है ! यह रोहिंग्या अपने देश छोड़कर दूसरे देश में बसते है !
(नोट : भारत जैसे देशों में पहले से इतनी आबादी है, अपनी समस्या है, तो फिर क्यूँ हम धर्मशाला खोले ! जबकि दुनिया में बहुत देश है एमनेस्टी चीन, अमेरिका, यूएस, ब्रिटेन जैसे देशों में बहुत ज़मीन है वहाँ क्यूँ नहीं जाते ! सोचो सोचो ) [8] रोहिंग्या को देश में बसाना देश के लिए खतरनाक होता जा रहा था इन संस्थाओं और पत्रकारों की वजह से, असल में रोहिंग्या ने म्यांमार और बांगलादेश में हिंदू के क़त्ल किये है ! ज्यादा जानकारी के लिए ये संदर्भ पढ़े [9]



These Are The Small Group With Amnesty International Work Against Hindu As Well As Government.

किनको हुई सबसे बड़ी दिक्कत

१- राणा अय्यूब : एमनेस्टी के आर्टिकल को ट्वीट करते हुए लिखा, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने भारत सरकार के प्रति शोध के कारण भारत में मानवाधिकारों को कायम रखने के लिए अपना काम रोक दिया ।  

२- ऑड्रे त्रुस्च्के : मोदी सरकार को दुनिया को यह देखकर डर लगता है की वे अपने लोगो के साथ कैसा व्यवहार करते है !  

३- स्वरा भास्कर : दो तस्वीर में न्यू इंडिया में एक छोटी कहानी ! एमनेस्टी को भारत में संचालित को बंद करने के लिए मजबूर किया ! एक राज्य जो मानवाधिकार वकालत को अपराध के रूप में देखता हो ! इस देश के मार्ग पर चलने से कौन अभी भी एंकर कर रहा है ?   

४- सागरिका घोस : भारत में तेजी से वंश में एक और शर्मनाक प्रकरण अंधेरे निरंकुशता में ! एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सरकारी प्रति शोध का हवाला देते हुए भारत से भारत गया !  

५- शेहला रशीद : भारत सरकार ने इतिहास में दूसरी बार, एमनेस्टी को मजबूर किया बंद करने के लिए, ताकि यह बिना किसी रुकावट के मानवधिकारो का उल्लंघन जारी रख सके ! इसके साथ ही, सरकार संयुक्त राष्ट्र में भारत के लिए ‘बड़ी भूमिका’ चाहती है ताकि यूएनएससी में किसी भी चर्चा को चुन सके

६- कविता कृष्णन : एक महीने पहले एमनेस्टी इंडिया ने दिल्ली में मुस्लिमों के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा प्रताडना, हिंसा, अधिकारों के उल्लंघन का दस्तावेजीकरण करते हुए एक रिपोर्ट जारी की थी ! दिल्ली पुलिस एसी हिंसा के लिए मुसलमानों को तैयार कर रही है ! एक महीने बाद करने के लिए मजबूर किया जाता है ! कालक्रम समझे ?  

७- निधि राजदान : इन मोहतरमा ने सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा लेकिन अपने साथी दा प्रिंट के शेखर गुप्ता का ट्विट का रीट्वीट करते हुए समर्थन किया

नोट : एमनेस्टी इन प्रत्रकारो, अभिनेत्रियों को फंड करता था जिसके लिए सिर्फ इन्ही चुनिंदा लोगो को बुलाया करता था !


Congress Government Also Stop Funds Then Congress ??

एमनेस्टी को सरकार से दिक्कत क्या है

ऊपर आर्टिकल और रिपोर्ट्स पड़ने के बाद एमनेस्टी के अनुसार, दिल्ली में दंगे करने वाले’, ‘कश्मीर में कत्लेआम करने वाले’, ‘म्यांमार के रोहिंग्याएक मानवाधिकार कार्यकर्ता है और उनके अधिकार है सिर्फ लेकिन कश्मीर में जिनका कत्लेआम हुआ (हिंदू), बंगाल में हिंदू के मारा जा रहा, पाकिस्तान में हिन्दुओ, सिखों, ईसाई, अहमदी, शिया के कत्लेआम, सीरिया में शिया के कत्लेआम जैसे पर चुप क्यूँ रहते ये संस्थान और इनके चुनिंदा पत्रकार और कार्यकर्ता कभी सोचा है ! एमनेस्टी ने बंद करने के समय सरकार पर मढे दोष लेकिन असल में वजह इनके कार्यकर्ता आगे चल कर, जाँच पूरी होने पर गिरफ्तार भी किये जा सकते है और प्रोपगंडा सेट किया जा रहा बस !



संदर्भ

[1] एमनेस्टी की रिपोर्ट में महिलाओ के ऊपर ऑनलाइन दुरुपयोग में राणा अय्यूब सिर्फ 

[2] एमनेस्टी ने इस आर्टिकल में भी बरखा दत्त और राणा अय्यूब को गाली देने वालो को प्रधानमंती से जोड़ा 

[3] एमनेस्टी में कविता, राणा और आद्रे जैसे चिनिन्दा लोगो की दम पर 

[4] इस उत्सव में किसको किसको चुनिंदा लोगो को बुलाया था  [a]  [b]

[5] हमें भारत में महिलाओं के खिलाफ ऑनलाइन हिंसा के बारे में बात करने की जरूरत क्यों 

[6] खुला पत्र: कोविड-19 के खतरे का सामना कर रहे मानवाधिकार रक्षकों को रिहा करें 

[7] सरकार से केस को बंद करने को कहा 

[8] रोहिंग्या का समर्थन और बसाना और उनकी मदद करता था  

[9] रोहिंग्या को भारत में बसाना खतरनाक 

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