Farukh Abdullah Giving Statements Against India For Only 'Triple P'
फारूख अब्दुल्लाह क्यूँ विवादित बयान दे रहे
नेशनल कांफेरेंस के पूर्व सीएम ‘फारूख अब्दुल्लाह’ लगातार पिछले एक साल से कुछ ज्यादा विवादित बयान देते आ रहे जिसमे से एक दिनांक 24 Sep 2020 को ‘कश्मीरी चाहते है चीनी करे उनपर शासन’ और दूसरा दिनांक 13 Oct 2020 को ‘अनुच्छेद 370 निराकरण को कभी चीन ने स्वीकार नहीं किया, मुझे आशा है चीन की समर्थन से जम्मू-कश्मीर में दोबारा बहाल करेंगे’ देते जा रहे है जिसपर कांग्रेस के सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी ने कोई विरोध नहीं किया ! असल में इन विरोधी के पीछे मामला है तीन ‘पी’ का !
- पार्टी घोटाला
- पाकिस्तान समर्थक
- पार्टी की सत्ता
तीन पी की वजह से बौखलाएं फारूख अब्दुल्ला और परिवार
पार्टी की सत्ता : मोदी सरकार की इच्छाशक्ति की वजह से 70 सालों का एक नासूर भारत से खत्म हो गया ! सरकार ने दिनांक 10 Sep 2019 को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म कर उसे दो राज्य में बाँट दिया था जिसमे एक जम्मू-कश्मीर और दूसरा लद्दाख ! सरकार ने लद्दाख को केंद्र शासित बनाये रखा जहाँ कोई सरकार नहीं होगी जबकि जम्मू-कश्मीर को अभी के लिए केंद्र शासित बनाए हुए है लेकिन बाद चुनाव करवाकर मुख्यमंत्री चुने जायेंगे ! जिसकी वजह से, फारूख अब्दुल्लाह सहित इन लोगो को सत्ता की भूख से दूर कर दिया गया था जिससे से ना तो वहाँ के आबादी के लिए दिए जाने वाले फंड और सरकारी ताकत का गलत इस्तेमाल कर पा रहे थे ना ही वहाँ के युवाओं को गलत दिशा दे पा रहे !
पार्टी घोटाला : सत्ता में रहते 'फारूख अब्दुल्लाह', कांग्रेस के 'ग़ुलाम नवी आज़ाद' और 'महबूबा मुक्ति' ने बहुत घोटाला किये जिसमे से एक (रोशनी एक्ट) घोटाला को लेकर हाईकोर्ट के जज 'गीता मित्तल' और 'राजेश बिंदल' ने हाल ही (दिनांक 12 Oct 2020) में रोशनी अधिनियम को अवैध करार देते हुए, 25000 करोड़ से ज्यादा के घोटाले की जांच के लिए सीबीआई को जांच का आदेश दे दिया है ! [1] इन घोटाले में इन नेताओं सहित कई विधायक, नौकरशाहों के भी शामिल होने, बंदर बांट करने की बात सामने आई है ! रोशनी अधिनियम को फारूख अब्दुल्लाह वाली सरकार ने सन 2001 में लागू किया गया था जिसमे 20 लाख कनाल सरकारी ज़मीन और हिन्दुओ की जमीनों (कश्मीर पीड़ितों सहित) को अवैध कब्जेदारो के हाथों में सौपना (मालिकाना हक देना) था साथ में इसके जरिये नेताओं, नेताओं के रिश्तेदारों और अधिकारियो ने सिर्फ 20% रेट में सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा किया था ! इसी अधिनियम के जरिये इन नेताओं ने कृषि भूमि को कब्जेदारो को 100 Rs प्रति कनाल शुल्क लेकर दे दी थी ! कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुक्ति सरकार के समय वित्त मंत्री हसीब दाब्रू और उनके भाई, महबूब बैग (अब्दुल्ला के करीबी), मुस्ताक अहमद और कृष्णा आमला (कांग्रेस के शीर्ष नेताओ के करीबी) और शीर्ष नौकरशाह जैसे खुर्शीद अहमद गनाई औत तनवीर जहान भी शामिल है ! सबसे बड़ी बात, कांग्रेस पार्टी ने श्रीनगर शहर के बीचो-बीच अचल संपत्ति का सबसे महंगा टुकड़ा ‘खिदमत ट्रस्ट’ को अधिनियम के जरिये हस्तांतरित किया गया ! इन अधिनियम की वजह से जम्मू-कश्मीर के बाहर के लोग खासकर भारतीय को ज़मीन और आवास प्रमाण पत्र भी नहीं लेने दिया जाता था जिसमे पंजाब जैसे राज्य से गए वाल्मीकि समाज को आजतक वहाँ पर आवास प्रमाण पत्र नहीं दिया गया था जो अबकी सरकार दे रही है ! [2]
पाकिस्तान समर्थक : इन कांग्रेस सहित नेताओं ने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 07 में प्रेसिडेंट ऑर्डर के जरिये बदलाव कर पाकिस्तानी नागरिकों को भी राज्य की नागरिकता दे सकता था ! जिसका गलत इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तानी नागरिकों या आतंकियों को भारत के हिस्से में बसाया और जनसांख्यिकी में परिवर्तन किया जा रहा था साथ में नागरिकता दिल वाई जा रही थी ! इन परिवारों और कांग्रेस की मदद से वहाँ दो बार सरकारी डाकुमेंट्स में आग लग वाई गई थी ! यह तीन पार्टियों ने खासकर कश्मीर को आतंकी अड्डा बनाकर छोड़ने वाले थे जिसमे देश के सैनिकों का नुकसान होता था ! लाखों हिन्दुओ को कश्मीर से भगाया गया, कत्लेआम किया गया, लेकिन उसपर आज तक एक भी जांच नहीं हुई जिसमे खुद कांग्रेसी नेता शामिल है !
क्रिकेट बोर्ड घोटाला के चेयरमेन अब्दुल्लाह
दिनांक 19 Oct 2020 को ईडी ने फारूख अब्दुल्लाह के क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहते हुए एक घोटाला को लेकर कल इनके घर पर छापा मारकर पूछताछ की ! यह घोटाले में उस समय की कांग्रेस सरकार ने बीसीसीआई की मदद से जम्मू क्रिकेट बोर्ड को 113 करोड़ रु की धनराशि मोहिया कराई थी जिसमे से करीब 43 करोड़ रु की राशि फारूख अब्दुल्लाह ने खर्च नहीं की और उसका घोटाला कर दिया ! [3] फारूख अब्दुल्लाह ३० साल तक जम्मू-कश्मीर क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष थे !
जम्मू-कश्मीर बैंक में घोटाला
पिछले महीने ही कोर्ट ने जम्मू कश्मीर को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में ‘अब्दुल हामिद’ की जनमत अर्जी को ख़ारिज किया गया था ! इस घोटाले में 250 करोड़ रु से ज्यादा के घोटाले में ‘एंटी करप्शन ब्यूरो’ ने बैंक के चेयरमेन ‘मोहम्मद शफी डार’ के अलावा चेयरमेन ‘हिलाल अहमद मीर’ और सचिव ‘अब्दुल हामिद’ के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी ! असल में कांग्रेस के समय से ‘को-ऑपरेटिव’ बैंकों को निगरानी से बाहर कर रखा था जिसकी वजह से ‘रिजर्व बैंक भी उसपर नजर नहीं रख पाती थी लेकिन अबकी कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने इन बैंकों रिसर्वे बैंकों ने अंदर ले आई है ! इसमे लोन की राशि को 18 लोगो के खाते में डाली गई ! इसको देखते हुए कोर्ट और बैंक अधिकारियो पर सवाल उठते जा रहे है क्युकी कोर्ट बड़े लोगो को बड़ी आराम से जमानत दे देती है ! [4]
अब समझ आ गया होगा की क्यूँ वहीँ की पूरी कांग्रेस, अब्दुल्लाह परिवार और महबूबा परिवार एक साथ विरोध करना शुरू किया है जबकि कुछ साल पहले तो धुर्र विरोधी थे ! कांग्रेस के पी-चिदंबरम (जो खुद बड़े बड़े घोटालों को लेकर जेल से जमानत पर बाहर है) का हाली में बयान फारूख अब्दुल्लाह का समर्थन भी आपसे कुछ कहता है ! यह सब अपने काले कारनामों को छुपाने के लिए एक साथ आयें है ! कुछ न्यूज़ एजेंसी (जैसे एनडीटीवी, इंडियाटुडे, एबीपी आदि), पोर्टल्स (दा वायर, दा प्रिंट, आदि) भी इस मामले को नहीं उठा रहे क्युकी वो जानते है मुद्दे को उठाने पर इन न्यूज़ चैनल सहित राजनेताओं की राजनीति समाप्त की तरफ बढती चली जायेगी ! वही कांग्रेस सहित इन लोगो ने सुप्रीम कोर्ट में केस दाखिल कर रखा है लेकिन बाहर बहुत सी भाषणबाजी कर रहे की असंवैधानिक है, वगेहरा वगेहरा ! सिर्फ और सिर्फ जनता को झूठ दिखाने के लिए ! कांग्रेस हर मामले में देश के गद्दारों के साथ क्यूँ खड़ी नजर आती है जबकि उनके नेता राहुल-प्रियंका-सोनिया के मुहँ से आवाज़ तक नहीं निकलती, ऐसे मामलो में चुप्पी शाध लेते है ! जबकि फारूख अब्दुल्ला का परिवार ९० के दशक में लन्दन में रहने लगे थे और वहाँ इनकी संपत्ति कहाँ से आई और कांग्रेस ने इनको वापस बुलाने की क्या यही वजह थी !
संदर्भ
[1] रोशनी एक्ट को हाई कोर्ट ने कहा अवैध
[2] कांग्रेसी नेताओ, अब्दुल्ला, महबूबा का खेल
[3] क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष पद पर घोटाला
[4] बैंक घोटाला